Bewafa shayari | 101+ वायरल बेवफा शायरी

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Bewafa shayari

Bewafa shayari: प्यार सफल न होणे के बोहोत सी वजह हो सकती है पर आम तौर पर दोनो मे से कोई एक का बेवफा हो जाणा यह मुख्य कारण होता है, आज के इस लेख मे हम ऐसी हि शानदार 100+ बेवफा शायरी के बारे मे जाणणे वाले है..!

वफा की तलाश करते रहे हम बेवफाई में अकेले मरते रहे हम,
नहीं मिला दिल से चाहने वाला, खुद से ही बेबजह डरते रहे हम,
लुटाने को हम सब कुछ लुटा देते, मोहब्बत में उन पर मिटते रहे हम,
खुद दुखी हो कर खुश उन को रखा, तन्हाईयों में साँसें भरते रहे हम,
वो बेवफाई हम से करते ही रहे, दिल से उन पर मरते रहे हम..!

Bewafa shayari

ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,

तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद,

जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है,

तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं…!

अगर दुनिया में जीने की चाहत ना होती;

तो खुदा ने मोहब्बत बनाई ना होती;

लोग मरने की आरज़ू ना करते;

अगर मोहब्बत में बेवाफ़ाई ना होती!

शायरी नहीं आती मुझे बस हाले दिल सुना रही हूँ;

बेवफ़ाई का इलज़ाम है, मुझपर फिर भी गुनगुना रही हूँ;

क़त्ल करने वाले ने कातिल भी हमें ही बना दिया;

खफ़ा नहीं उससे फिर भी मैं बस, उसका दामन बचा रही हूँ…!

जान कर भी वो मुझे जान ना पाए,
आज तक वो मुझे पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली बेवफ़ाई हमने,
ताकि उनपर कोई इल्ज़ाम ना आए…!

वफ़ा के नाम से वो अंजन थे,
किसी की बेवफ़ाई से शायद परेशान थे,

हुँने वफ़ा देनी चाही तो पता चला,
“हम खुद ही बेवफा” के नामसे बदनाम थे…!

दूर चले गये तेरी दुनिया से

और तुझे अलविदा भी ना कह सके,
तेरी सादगी भी इतनी हसीन थी

के तुझे बेवफा भी ना कह सके…!

Bewafa shayari

दुनियाँ को इसका चेहरा दिखाना पड़ा मुझे;
पर्दा जो दरमियां था हटाना पड़ा मुझे;
रुसवाईयों के खौफ से महफिल में आज;
फिर इस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे…!

क्या बताऊँ मेरा हाल कैसा है;
एक दिन गुज़रता है एक साल जैसा है;
तड़पता हूँ इस कदर बेवफाई में उसकी;
ये तन बनता जा रहा कंकाल जैसा है….!

मोहब्बत ने हम पर ये इल्जाम लागाया है

वफा कर के भी बेवफा का नाम पाया है

राहे अगल नही थी हमारी

फिर भी हमने अगल अगल मंझील को पाया है !

मोहब्बत करे तो लगता हे जैसे,
मौत से भी बड़ी ये एक सज़ा हे जैसे,
किस किस से शिकायत करे हम,
जब अपनी हे तक़दीर हे बेवफा हो…!

आज अभी उनकी नज़र में राज़ वही था ,

चेहरा वही था चेहरे का लिबास वही था ,

कैसे उन्हें बेवफा कह दूं

आज भी उनके देखने का अंदाज़ वही था !

बेवफाई उसकी मिटा के आया हूँ;
ख़त उसके पानी में बहा के आया हूँ;
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को;
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ…!

उनकी आँखो मे इस कदर का नूर हे की,
उनके ख़यालो मे रोना भी मंज़ूर हे.
बेवफा भी नही कहे सकते उन्हे क्यू की,
प्यार तो हमने किया था वो तो बेकसूर हे…!

आग दिल मे लगी जब वो खफा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
कर के वफ़ा कुछ दे ना सके वो,
पर बहुत कुछ दे गये जब वो बेवफा हुए….!

आकाश मे डूबा एक प्यारा तारा हे,
हमको तो किसी की बेवफ़ाई ने मारा हे,
हम उनसे अब भी मोहब्बत करते हे,
जिसने हमे मौत से भी पहेले मारा हे….!

तेरी बेवफाई ने मेरा

ये हाल कर दिया है;
मैं नहीं रोती,

लोग मुझे देख कर रोते हैं!

Bewafa shayari

इश्क के इस दाग का एक बेवफा से रिश्ता है

इस दुनिया में सदियों से आशिक का ये किस्सा है..!

*

मिलने की आस तन्हाई होती हे,
वफ़ा की आस बेवफा होती हे,
दिल मे जीने की उमंग समाई होती हे,
पता नही किसको क्या मिले,
क्योकि किस्मत रब की बनाई होती हे…!

लगाया है जो दाग तूने हमें बेवफ़ा सनम;
हाय मेरी पाक मुहब्बत पर;
लगाये बैठे हैं इसे अपने सीने से हम;
प्यार की निशानी समझ कर…!

मोहब्बत करके देखि तो मोहब्बत को पहचान लिया,

वफ़ा सिर्फ नाम कि बात हे ये सिर्फ बेवफाई का फ़साना हे…!

हसी की राह मे गम मिले तो क्या करे,
वफ़ा के नाम पर बेवफा मिले तो क्या करे.
कैसे बचे ज़िंदगी मे धोके बाजो से,
कोई हस के धोका दे तो हम क्या करे…!

वो बेवफा मेरा इम्तिहान क्या लेगी,
मिलेगी नज़रो से तो नज़र तक झुका देगी,
उसे मेरी कबर पे दिया जलाने को मत कहेना,
वो तो नादान हे कही अपना हाथ जला देगी…!

इश्क ए मोहब्बत मे कभी ऐसे तस्वीर भी होगी,

हमे क्या पता के किसी बेवफा के लिए शायरी भी लिखनी होगी …!

बेवफायी का मौसम भी
अब यहाँ आने लगा है,
वो फिर से किसी और को
देख कर मुस्कुराने लगा है..!

हारने वालो का भी अपना रुतबा होता हैं …

मलाल वो करे जो दौड़ में शामिल नही थे..!

मेरी वफा के क़ाबिल नही हो तुम,
प्यार मिले ऐसे इन्सान नही हो तुम,
दिल क्या तुम पर ऐतबार करेगा,
प्यार मे धोखा दिया ऐसे बेवफा हो तुम..!

पहले इश्क फिर धोखा फिर बेवफ़ाई,

बड़ी तरकीब से एक शख्स ने तबाह किया..!

दुनियाँ को अपना चेहरा दिखाना पड़ा मुझे,
पर्दा जो दरमियां था हटाना पड़ा मुझे,
रुसवाईयों के खौफ से महफिल में आज,
फिर इस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे…!

Bewafa shayari

कुछ तो बेवफाई है मुझ में भी,
जो अब तक जिंदा हूँ तेरे बग़ैर…!

तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की,

हम बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे..!

इतनी मुश्किल भी ना थी
राह मेरी मोहब्बत की,
कुछ ज़माना खिलाफ हुआ
कुछ वो बेवफा हो गए..!

आज तुम्हारी याद ने मुझे रुला दिया,
क्या करूँ तुमने जो मुझे भुला दिया,
न करते वफ़ा न मिलती ये सजा,
मेरी वफ़ा ने तुझे बेवफा बना दिया..!

जो हुकुम करता है वो इल्तज़ा भी करता है,
आसमान भी कहीं जाकर झुका करता है,
और तू बेवफा है तो ये खबर भी सुन ले,
इन्तज़ार मेरा कोई वहाँ भी करता है..!

मेरी वफा फरेब थी मेरी वफा पे खाक डाल ।

तुझसा ही कोई बेवफा तुझको मिले खुदा करे..!

रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लग के वो,

ऐसा लगा कि जैसे कभी बेवफा न थे वो…!

मोहब्बत से रिहा होना ज़रूरी हो गया है,
मेरा तुझसे जुदा होना ज़रूरी हो गया है,
वफ़ा के तजुर्बे करते हुए तो उम्र गुजरी,
ज़रा सा बेवफा होना ज़रूरी हो गया है..!

अपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थी,

वरना हमको था मालूम कि तुम बेवफा हो जाओगे…!

वाकिफ तो थे तेरी बेवफ़ाई की आदत से,

चाहा इसलिए कि तेरी फितरत बदल जाये..!

कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,
कि तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगी में इतना फरेब था,
कि तुझे बेवफा भी न कह सका..!

अगर दुनिया में जीने की चाहत ना होती,
तो खुदा ने मोहब्बत बनाई ना होती,
इस तरह लोग मरने की आरज़ू ना करते,
अगर मोहब्बत में बेवफ़ाई ना होती..!

जा तुझ को तेरे हाल पे छोड़ा,

इस से बेहतर तेरी सजा भी क्या है..!

मोहब्बत से भरी कोई ग़ज़ल उसे पसंद नहीं,

बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते हैं..!

Bewafa shayari

जब तक न लगे एक बेवफाई की ठोकर,

हर किसी को अपने महबूब पे नाज़ होता है…!

हर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया,

गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफाई सिला दिया..!

कुछ अलग ही करना है तो वफ़ा करो दोस्त,

बेवफाई तो सबने की है मज़बूरी के नाम पर…!

उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी,

अगर उस में वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने…!

काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें,

उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें..!

कैसे बुरा कह दूँ तेरी बेवफाई को,

यही तो है जिसने मुझे मशहूर किया है..!

बेवफाओं की इस दुनियां में संभलकर चलना,

यहाँ मुहब्बत से भी बर्बाद कर देते हैं लोग…!

जाते जाते उसने पलटकर सिर्फ इतना कहा मुझसे,

मेरी बेवफाई से ही मर जाओगे या मार के जाऊं..!

फ़ुलो के साथ कांटे नसिब होते है,
ख़ुशी के साथ गम भी नसिब होता है,
यु तो मजबुरी ले डुबती हर आशिक को,
वरना ख़ुशी से बेवफ़ा कौन होता है?

रात की गहराई आँखों में उतर आई,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई..!

बेवफा दुनिया में कौन सारी जिंदगी साथ देगा तेरा,

लोग तो दफना कर भूल जाते हैं कि कब्र कौन सी थी..!

आप बेवफा होंगे सोचा ही नहीं था,
आप भी कभी खफा होंगे सोचा नहीं था,
जो गीत लिखे थे कभी प्यार पर तेरे,
वही गीत रुसवा होंगे सोचा ही नहीं था…!

मेरी वफा के बदले बेवफाई न दिया कर,
मेरी उम्मीद ठुकरा के इन्कार न किया कर,
तेरी मोहब्बत में हम सब कुछ गँवा बैठे,
जान भी चली जायेगी इम्तिहान न लिया कर..!

Bewafa shayari

फलक को ज़िद है जहाँ बिजलियाँ गिराने की,
हमारी भी जिद है वहीँ आशियाँ बनाने की ,.,!!!

हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम,

होने लगे हो कुछ-कुछ बेवफा से तुम..!

मेरी वफा के क़ाबिल नही हो तुम,
प्यार मिले ऐसे इन्सान नही हो तुम,
दिल क्या तुम पर ऐतबार करेगा,
प्यार मे धोखा दिया ऐसे बेवफा हो तुम..!

इतना मगरूर मत बन मुझे वक्त कहते हैं,

मैंने कई बादशाहो को दरबान बनाया हैं!!

अब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सही,

कौन मानेगा कि हम में से बेवफा कोई नहीं..!

हम जमाने में यूँ ही बेवफ़ा मशहूर हो गये दोस्त,

हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते।

मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला,

अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता।

हम तो जल गये
उसकी मोहब्बत में मोमकी तरह,
फिर भी कोई बेवफा कहे
तो उसकी वफ़ा को सलाम…!

न कोई मज़बूरी है न तो लाचारी है,

बेवफाई उसकी पैदायशी बीमारी है..!

शेर के पाँव में अगर काँटा चुभ जाए,

तो उसका ये मतलब नहीं की अब कुत्ते राज करेंगे.,.!!!

पहले इश्क फिर धोखा
फिर बेवफ़ाई,
बड़ी तरकीब से
एक शख्स ने तबाह किया….!

सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने​​,

हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है…!

हमारे जीने का तरीका थोड़ा अलग है,

हम उमीद पर नहीं अपनी जिद पर जीते है!!

ज़ज़बात पे क़ाबू वो भी मोहब्बत में,

तूफ़ान से कहते हो चुपचाप गुज़र जाओ ,.,!!

उसकी ख्वाहिश है कि आँगन में उतरे सूरज,

भूल बैठा है कि खुद मोम का घर रखता है..!

इतना ही गुरुर है तो मुकाबला इश्क से कर ऐ बेवफा,

हुस्न पर क्या इतराना जो बस मेहमान है कुछ दिन का..!

Bewafa shayari

हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम,

होने लगे तो कुछ कुछ बेवफा से तुम।

वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से,

हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए…!

मेरी तलाश का है जुर्म
या मेरी वफा का क़सूर,
जो दिल के करीब आया
वही बेवफा निकला..!

तेरी बेवफाई ने हमारा ये हाल कर दिया है,

हम नहीं रोते लोग हमें देख कर रोते हैं….!

कोई नहीं याद रखता वफ़ा करने वालों को,

मेरी मानो बेवफा हो लो जमाना याद रखेगा..!

मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ

पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह..!

मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है,

अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना…!

हम बेवफा हैं ऐलान किये देते हैं,

चल तेरे काम को आसान किये देते हैं..!

बंद कर देना खुली आँखों को मेरी आ के तुम,

अक्स तेरा देख कर कह दे न कोई बेवफा..!

समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से

अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी..!

*

हे पण वाचा

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*

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धन्यवाद…!

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